कभी - कभी कुछ मजबूरियाँ आदत बन जाती हैं !
हम समझ ही नहीं पाते, कब वो इबादत बन जाती हैं !!
दर्द तब होता है यारो, जब दुआ भी बददुआ बन जाती हैं !
ज़िन्दगी भी एक कोलाहल है यारो,
यहाँ तो शक्लें भी बेअकल हो जातीं हैं !!
ज़माने लग जाते है एक रिश्ते को बनाने में,
ये आदतें भी कभी - कभी बुरी बन जाती हैं !!!!!!!!
जितेन्द्र सिंह बघेल
11th दिसम्बर 2012
हम समझ ही नहीं पाते, कब वो इबादत बन जाती हैं !!
दर्द तब होता है यारो, जब दुआ भी बददुआ बन जाती हैं !
ज़िन्दगी भी एक कोलाहल है यारो,
यहाँ तो शक्लें भी बेअकल हो जातीं हैं !!
ज़माने लग जाते है एक रिश्ते को बनाने में,
ये आदतें भी कभी - कभी बुरी बन जाती हैं !!!!!!!!
जितेन्द्र सिंह बघेल
11th दिसम्बर 2012
Really Nice One......
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