Saturday, 19 April 2014

कर्म !!

कुछ कर पाने से बेहतर है, कुछ  भी ऐसा न कर पाना !
अफ़सोस अगर हो करने से, तो मतलब क्या खोना पाना !!

है जल्दी में सारी दुनिया, उनको अपनों का मोह नहीं !
सब खोकर के पाना चाहें, उनको किंचित सा दर्द नहीं !!

सब जीवन ऐसे जीते हैं, जैसे उनको है रह जाना !
मरके उनको है ठौर कहा, ये राज किसी ने न जाना !!

कुछ कर पाने से बेहतर है, कुछ  भी ऐसा न कर पाना !
अफ़सोस अगर हो करने से, तो मतलब क्या खोना पाना !!
 

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
19 th अप्रैल 2014

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...