Thursday 28 March 2013

अपनापन - परायापन !!

हमने सुना था, की  अपने कितने भी पराये क्यों न हो जाएँ,
मगर अपनापन नहीं जाता !

मगर यहाँ तो कुछ और बात दिखी यारो, इतना परायापन मिला,
की साला बताया नहीं जाता !!
  


जितेन्द्र सिंह बघेल

28 मार्च 2013

Thursday 21 March 2013

हो एक दृष्टि, हो एक डगर !!

 हो एक दृष्टि, हो एक डगर मानो सारा जग अपना है !
निज स्वार्थ सिद्ध के खातिर जो, लुट जाये वो क्या अपना है !!

ए वतन तुझे है नमन मेरा, मर मिटू तुझी पे सपना है !
हो एक दृष्टि, हो एक डगर मानो सारा जग अपना है !!

जितेन्द्र शिवराज  सिंह बघेल 
21 मार्च 2013

Monday 11 March 2013

जलता हूँ जज्बातों में !!!!!!!


जलता हूँ जज्बातों में, मत पूँछ मेरे अफसानो को !
हर मंजर मुझसे रूठा है, है जीवन जैसे जाने को !!

हर किस्सा मेरा अपना ही, क्यों आज मुझी से पूंछे है !
है वक़्त बड़ा बेदर्दी सा, सब कुछ है जैसा खोने को !!

उन राहों में जब जाता हूँ, हर मंजर मुझसे कहता है !
क्यों आँखें तेरी नम सी हैं, तू चाहे जैसे रोने को !!

जितेन्द्र सिंह बघेल
12th मार्च 2013

Tuesday 5 March 2013

कुछ बात गलत सी लगती है !!!

करबद्ध मेरे अब हाथ नहीं, हो पाते हैं तेरे आगे !
कुछ बात गलत सी लगती है, कह पाता न तेरे आगे !!

मन शान्त नहीं, अति कुंठित है, परवाह नहीं कर  पाता है !
हे ईश्वर मुझको शक्ती दे, झुक जाऊं मैं तेरे आगे !!

कुछ प्रणय वेदना डसती है, कुछ अपने मुझसे दूर गये !
हर बात का तुझको भान प्रभू, कह पाऊं क्या तेरे आगे !!

करबद्ध मेरे अब हाथ नहीं, हो पाते हैं तेरे आगे !
कुछ बात गलत सी लगती है, कह पाता न तेरे आगे !! 


जितेन्द्र सिंह बघेल
5th मार्च 2013

Monday 4 March 2013

कभी कभी भगवान् भी गलती करते हैं क्या ?
ऐसा विचार मेरे मन में कई बार आ चुका है, जब जब कोई अनहोनी किसी अपने के साथ हो जाती है, और वो हमे छोड के उसी के पास चला जाता है, तब लगता है की काश मेरे अपने के जगह भगवान मुझे चुनता !!

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...