जीवन का सच भी, क्या सच है, जिसने इस सच को बोल दिया !
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
सच बोलो तो बुरे बनो, फिर लोग कहें क्यों सच बोलो !
सच का मतलब समझो यारों, फिर तभी कहो की सच बोलो !!
कुछ सच मानो पछतावे से, जिनके कहने से दर्द हुआ !
तो बंद करो पछताना अब, जो बोल दिया तो बोल दिया !!
जीवन का सच भी, क्या सच है, जिसने इस सच को बोल दिया !
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
हर शख्स यहाँ पे झूँठा है, हर चेहरे मानो नकली है !
जीवन की करवट ऐसी है, की मानो एक पहेली है !!
ये सच भी कितना कड़वा है, सारे रिश्तों को तोड़ दिया !
है लानत ऐसे सच में भी, जिसने रश्मों को तोड़ दिया !!
जीवन का सच भी, क्या सच है, जिसने इस सच को बोल दिया !
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
28th जनवरी 2013
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
सच बोलो तो बुरे बनो, फिर लोग कहें क्यों सच बोलो !
सच का मतलब समझो यारों, फिर तभी कहो की सच बोलो !!
कुछ सच मानो पछतावे से, जिनके कहने से दर्द हुआ !
तो बंद करो पछताना अब, जो बोल दिया तो बोल दिया !!
जीवन का सच भी, क्या सच है, जिसने इस सच को बोल दिया !
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
हर शख्स यहाँ पे झूँठा है, हर चेहरे मानो नकली है !
जीवन की करवट ऐसी है, की मानो एक पहेली है !!
ये सच भी कितना कड़वा है, सारे रिश्तों को तोड़ दिया !
है लानत ऐसे सच में भी, जिसने रश्मों को तोड़ दिया !!
जीवन का सच भी, क्या सच है, जिसने इस सच को बोल दिया !
जीवन के इस मझधार में खुद, अपनी नईया को डुबा दिया !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
28th जनवरी 2013