तेरी चाहत बनी राहत, मेरे वीरान मंजर की !
तेरा आना मुकद्दर में, यूँ ही किस्मत नहीं होती !!
अभी तक सोंचता हूँ मैं, सभी बातें मोहब्बत की !
तू मुझसे दूर है कहना, मेरी हिम्मत नहीं होती !!
खुदी से कहकहे कहना, मेरी आदत है रातों की !
मेरी साँसे भी अब जाना, मुसलसल भी नही होती !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
09 सितम्बर 2012
तेरा आना मुकद्दर में, यूँ ही किस्मत नहीं होती !!
अभी तक सोंचता हूँ मैं, सभी बातें मोहब्बत की !
तू मुझसे दूर है कहना, मेरी हिम्मत नहीं होती !!
खुदी से कहकहे कहना, मेरी आदत है रातों की !
मेरी साँसे भी अब जाना, मुसलसल भी नही होती !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
09 सितम्बर 2012