पुरुषार्थ और पुरुष के बीच एक घमासान क्यूँ चल रहा है भाई ?
आप पुरुष हैं न !
फ़िर क्योँ बेवज़ह प्रदर्शन किया जा रहा !
अपनी विचारधारा, अपनी व्यक्तिगत भड़ास तो नहीँ हो सकती न, दोनो किसी भी रूप में एक दूसरे की पूरक या समकक्ष भी तो नहीँ हैं ।
एक ऐसी हवा हमारे जोश मेँ क्योँ घुल रही है जो, बस बिना विचार किये, एक ऐसे लक्ष्य की ओर अग्रसर सी है, जिसे पाके भी सब कुछ खोने का भान होने वाला है। देश की नयी ऊर्जा को देश हित मे लगाना है, न की उसे खोना है।
सच के साथ, सच के पास, सच के लिये जीना ही सर्वश्रेष्ठ है,
सबसे पहले देश, फ़िर समाज, फ़िर परिवार, फ़िर आप स्वयं ॥
मेरे मन की आवाज़ ........
॥ जितेन्द्र शिवराज सिँह बघेल ॥
25th फ़रवरी 2018