Saturday 24 February 2018

॥ मेरे मन की आवाज़ ॥

पुरुषार्थ और पुरुष के बीच एक घमासान क्यूँ चल रहा है भाई  ?
आप पुरुष हैं न !
फ़िर क्योँ बेवज़ह प्रदर्शन किया जा रहा !
अपनी विचारधारा, अपनी व्यक्तिगत भड़ास तो नहीँ हो सकती न, दोनो किसी भी रूप में एक दूसरे की पूरक या  समकक्ष भी तो नहीँ हैं ।
एक ऐसी हवा हमारे जोश मेँ क्योँ घुल रही है जो, बस बिना विचार किये, एक ऐसे लक्ष्य की ओर अग्रसर सी है, जिसे पाके भी सब कुछ खोने का भान होने वाला है। देश की नयी ऊर्जा को देश हित मे लगाना है, न की उसे खोना है।
सच के साथ, सच के पास, सच के लिये जीना ही सर्वश्रेष्ठ है, 
सबसे पहले देश, फ़िर समाज, फ़िर परिवार, फ़िर आप स्वयं ॥

मेरे मन की आवाज़ ........
॥ जितेन्द्र शिवराज सिँह बघेल ॥
     25th फ़रवरी 2018

॥ किसी के वाश्ते जीना ॥

किसी के वाश्ते जीना, किसी के वाश्ते मरना !
नहीँ होता नसीबों मे, यूँ मर मर के यूँ जीना !!

दफ़न होने से पहले ही, कफ़न की आरज़ू क्योँ थी !
कशिश वैसी अभी भी है, कशिश पहले भी जैसी थी !!

फरक इतना है बस आया, की तुझको पास हूँ पाया !
वफ़ा का वास्ता देकर, वफ़ा के पार मैं आया !!

किसी के वाश्ते जीना, किसी के वाश्ते मरना !
नहीँ होता नसीबों मे, यूँ मर मर के यूँ जीना !!

॥ जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल ॥
      25 th फ़रवरी 2018

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...