बेसब्री का आलम कुछ यूँ था यारो, जिन रास्तों पे चले थे कभी, आज उनमें ही भटकने लगे !!!
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जितेंद्र शिवराजसिंह बघेल
29 सितम्बर 2015
Monday 28 September 2015
बेसब्री का आलम !!!!
Sunday 13 September 2015
सुकूँ सारा गवाँ बैठा !!
सुकूँ पाने की कोशिश में, सुकूँ सारा गवाँ बैठा !
न समझा आजतक जीना, जो मर मर के हैं जीते लोग !!
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कदम ठहरे नहीं मेरे, न थक के मैं कभी बैठा !
न समझा आजतक कहना, जो छुप छुप के हैं कहते लोग !!
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नहीं किस्मत की है रहमत, या किस्मत से मैं लड़ बैठा !
कहीं सच ही न हो जाये, जिसे सह भी न पायें लोग !!
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सुकूँ पाने की कोशिश में, सुकूँ सारा गवाँ बैठा !
न समझा आजतक जीना, जो मर मर के हैं जीते लोग !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
14th सितम्बर 2015
Thursday 10 September 2015
अदब से आदाब तक !!
बड़ा लंबा सफर था मेरा, अदब से आदाब तक का !
ना रास्ते कम हुए, ना मंजिल मिली !!
बड़ा मसगूल था मैं, न सोंचा उस हद तक का !
ना दर्द कम हुए, न खुशियाँ मिली !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
11th सितम्बर 2015
Tuesday 8 September 2015
खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !!
खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !
क्या तुझे तेरे रोने का मकसद मिला !!
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है जरूरी अगर सुर्ख होना तेरा !
फिर खतम आज से सारा शिकवा गिला !!
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रूह, जख्मों का मंजर लिए चल रही !
कोई उसको न उसके जैसा मिला !!
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हर सितम सह के जीना मोहब्बत नहीं !
हर मोहब्बत को उसका सिला न मिला !!
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खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !
क्या तुझे तेरे रोने का मकसद मिला !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
8th सितम्बर 2015
Friday 4 September 2015
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु !!
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !
है प्रीति समाज की रीति भले, पर प्रीति की रीति न माने कोई !!
कुछ कष्ट करें दुर्बल मन को, मन को ही बता दो उपाय कोई !
तन मन अपना अर्पण कर दूँ , धन की चिंता ना रहे कोई !!
मझधार से पार लगा दो प्रभु, यहाँ और नहीं मल्हार कोई !
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु , मन माहि चले हैं विरोध कई !
!! कृष्ण जन्म की मंगल सुभकामनाएँ !!
* हरे कृष्णा हरे रामा *
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
5 सिंतम्बर 2015
Thursday 3 September 2015
खुदा खुदगर्ज लगता है !!
कोई मंजर नहीं ऐसा, जो मुझको दे सुकूँ थोड़ा !
न जाने किस गली में वो, मुझे तकती खड़ी होगी !!
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अचानक याद में उसके, मचल जाता हूँ मैं थोड़ा !
सबर करना मेरे हमदम, वो दिल से कह रही होगी !!
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खुदा खुदगर्ज लगता है, रहम करता नहीं थोड़ा !
मगर फिर भी इबादत वो, खुदा की कर रही होगी !!
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सभी राहें हुई आशां, मगर फिर भी है डर थोड़ा !
यही सज़दा खुदा से वो, दुआ में कर रही होगी !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
3 सितम्बर 2015
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।। मेरे शहर में सब है ।।
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
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कभी कोख में तो, कभी चौक में मैं। क्यों मारी क्यों नोची, जली जा रही हूँ।। किसी रोज़ हो जाऊं, गी जग से ओझल। तो रहना अकेले, कहे जा रही हूँ।। ...
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कभी - कभी कुछ मजबूरियाँ आदत बन जाती हैं ! हम समझ ही नहीं पाते, कब वो इबादत बन जाती हैं !! दर्द तब होता है यारो, जब दुआ भी बददुआ बन जाती हैं...