Wednesday 15 October 2014

ज़रा सा हँस के देंखे अब !!!!


बहुत रोये तो क्या पाये, ज़रा सा हँस के देंखे अब ! 
कहा लौंटें, कहाँ जाएँ, ठिकाने भर चुके हैं सब !! 
किसी को पाके खोने का, गिला शिकवा नहीं है अब ! 
ज़माने भर की खुशियाँ भी, हंसा सकती नहीं हैं अब !! 
मगर जीने की राहों को, नहीं छीना किसी ने भी ! 
मुझे लगता है डरता है, जमाना भी कसम से अब !! 
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 जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
 16th अगस्त 2014

Thursday 2 October 2014

तुझे देखूं तो लगता है !!!

तुझे देखूं तो लगता है, मेरी आँखें न रो डालें !
मैं डरता हूँ, मैं जलता हूँ, तेरा ये शौक न पालें !!
न देखूंगा, न सोचूंगा, न मानूंगा तुझे अपना !
अकेला ही मैं काफी हूँ, न देखूंगा कोई सपना !!
मेरी हर आरज़ू है अब, वफ़ा के नाम की जाना !
मैं ज़िंदा होके मरता हूँ, किसी ने ये नहीं जाना !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
2nd अक्टूबर 2014

Thursday 4 September 2014

रहमतों की फितरत !!!!

आसाँ नहीं है ज़िन्दगी, जिन्दादिलों की !
हर मोड़ पे एक, आदमखोर बैठा है !!
गुस्ताखियों से तो, आदत है बात करने की !
कोई गुस्ताख़ मेरे ताक में जो बैठा है !!
रहमतों की तो फितरत है, मुझे भूल जाने की !
कोई है जो, दुआओं में बात करता है !! 
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
4th सितम्बर 2014

Saturday 30 August 2014

बड़ी सर्द थी दीवानगी उनकी !!!

बड़ी सर्द थी  दीवानगी उनकी, मैं मग़रूर था समझा नहीं !
ज़िल्लतों के दौर में पड़ा रहा, खुद को संभाला नहीं !!
सन्नाटे मुझे कहते हैं मेरी सुन,
उनसे कौन कहे, हम दीवाने हैं समझते नहीं !
अब तो खुद की ख़ामोशी भी कर गयी मोहब्बत मुझसे,
बस गुम  हूँ उसकी यादों में, निकल पाना मुमकिन नहीं !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
30th अगस्त 2014

Thursday 28 August 2014

कुछ पल की बात !!

कुछ पल की बात थी, लगा यूँ सदियाँ गुजर गयीं !
वो बेसबर थे इस कदर, लगा तन्हाईयाँ भी मर गयीं !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
28th अगस्त 2014

Wednesday 6 August 2014

हर मुश्किल को आँसा कर दू, बस हाथ मेरा तू थामे रख !
ये दौर बड़ा ही नाजुक है, बस कुछ पल का एहसास तू रख !!
सब रिश्तों की है  कदर मुझे, हर रिश्ते को मैं जीता हूँ !
बस कभी अकेले में होके, खुद की उलझन में रोता हूँ !!
ये दुनिया बड़ी बेगानी है, मैं समझ - समझ के हार गया !
बस इसमें कैसे रहना है, शायद मैं अब ये समझ गया !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
  06 अगस्त 2014

Friday 25 July 2014

1
जब भी मिलोगी किसी मोड़ पे, हर मोड़  जिंदगी का नज़र आएगा  !
तेरे साथ चलना मुनासिब न था, मगर प्यार मेरा जता जायेगा !!
2
फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके !
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे !!

फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके …
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे .... 
JITENDRA SRS BAGHEL

Wednesday 23 July 2014

ज़िंदगी !!!!

तेरा आना ज़िंदगी में, कुछ ख़ास कर गया !
नहीं समझ सकता ज़िंदगी, तेरे जाने के बाद !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
23rd जुलाई 2014

Tuesday 15 July 2014

क्यों फासले हमदर्द हैं !!!

क्यों फासले हमदर्द हैं, हमराह की अँखियों तले !
दिन रात हम रुसवा रहे, खुद के अँधेरे में जले !!
गर रौशनी कुछ दे सका, तो सुकर मत  करना मेरा !
मैं जल रहा मैं मिट रहा, सब कुछ तेरे यादों तले !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
    15th जुलाई 2014

Friday 11 July 2014

!!!!! गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ !!!!!

Saturday 19 April 2014

कर्म !!

कुछ कर पाने से बेहतर है, कुछ  भी ऐसा न कर पाना !
अफ़सोस अगर हो करने से, तो मतलब क्या खोना पाना !!

है जल्दी में सारी दुनिया, उनको अपनों का मोह नहीं !
सब खोकर के पाना चाहें, उनको किंचित सा दर्द नहीं !!

सब जीवन ऐसे जीते हैं, जैसे उनको है रह जाना !
मरके उनको है ठौर कहा, ये राज किसी ने न जाना !!

कुछ कर पाने से बेहतर है, कुछ  भी ऐसा न कर पाना !
अफ़सोस अगर हो करने से, तो मतलब क्या खोना पाना !!
 

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
19 th अप्रैल 2014

Saturday 18 January 2014

न जाने मुस्किले क्यों आज , मुझको बेवफा कर दीं ! 
उन्हें रुसवा करूं भी तो , मेरा मंजर बयां कर दीं !!

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...