Thursday 14 April 2022

की कौन राम से पूछेगा...

की कौन राम से पूंछेगा, पुरूषों से पुरुषोत्तम हो जाना।
की कौन राम से जानेगा, मर्यादा में ही रह जाना।।
जो राजतिलक को जाता हो, और एक क्षण में  वनवास मिले।
की कौन राम से पूछेगा, संघर्षों में ही ढल जाना।।
की कौन राम सा हो पाया, जिसने सबरी के बेर लिए।
की कौन राम सा बन पाया, जिनसे कितने उद्धार हुए।।
की कौन राम सा अग्रज है, जो भरत, लक्ष्मण अनुज हुए।
की कौन राम सा आतुर है, जिसका सेवक हनुमान मिले।।
की कौन स्वयं से पूछेगा, कितना खुद को वह पहचाना।
की कौन स्वयं में देखेगा, कितना प्रभु को मैंने जाना।।
सब रावण बन कर फिरते हैं, नित रोज धर्म को डसते हैं,
की कौन स्वयं से पूछेगा, क्या राम सरल है बन जाना।

जारी है.......
जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल 
  १५ अप्रैल २०२२

Tuesday 15 February 2022

।।जीने की वजह।।

अपने Emotions का Investment किए जा रहा हूं।
किसी के लिए शायद Permanent हुए जा रहा हूं।।
Expenses जिंदगी के बढ़ रहे हैं दिनो दिन।
लगता है जीने की वजह Extend किए जा रहा हूं।।
होना है एक दिन Exipre ही सबको।
बिना मतलब खुद को Inspire किए जा रहा हूं।।

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...