Friday 29 September 2017

॥ जय श्री राम ॥

मैं हर चौराहे पर छेड़ी जाती हूँ, जहाँ विरोध किया वहाँ हरण कर ली जाती हूँ !
हर कदम कदम में रावण हैं, मैं पल पल अपना शील बचाती हूँ !!
मैं पहले भी अग्नि परीक्षा दी हूँ, इस युग में तो बचपन से देती आयी हूँ !
कब राम, रावण बन जाता है, इस भय से अब खुद को बचाती हूँ !!
मैं पाँच महान पतियों के समक्ष भी, चीर हरित हुई हूँ !
मैं महाभारत की वो द्रौपदी भी हूँ !! 
कब कृष्ण कंस बन जायेगा, इस डर से अब डर जाती हूँ !!
मैं संशय थी तब भी, वही अब हूँ, मैं सीता हूँ, द्रौपदी हूँ, मैं नारी हूँ, फ़िर भी संशय हूँ !!

॥ विजय दशमी पर्व की मंगल शुभकामनाएँ ॥
जो रावण हैं वो अपना दहन कर लें, और जो राम हैं वो खुद का मीटर चेक कर लें !

जीतेंद्र शिवराज सिंह बघेल
30th सितम्बर 2017

Thursday 14 September 2017

॥ मन की बात ॥

भारत देश का सबसे विफल और लाचार मुख्यमंत्री आज़ तक के जीवन काल में मैने देखा तो वो हैं महामना Shivraj Singh Chouhan , शिक्षा के क्षेत्र में इतना लचर और असहाय प्रतीत होता प्रदेश का मुखिया मैं शायद कभी नहीँ देखा । विद्यालयों में अब तक नियमित तो दूर अतिथि शिक्षक तक नियुक्त नहीँ हो पाये इतनी बड़ी बात को ना कोई न्यूज़ चैनेल दिखा रहा न कोई दैनिक समाचार पत्र ।
इनको घोंसङा वीर कहना कोई अतिसँयोक्ति नहीँ होगी, जनता को उचित रोज़गार और बिजली पानी से फर्क पड़ता है, न की दिल से या मन की बात से नहीँ ।
प्रदेश की बेवक़ूफ़ जनता को बस ये मतलब है कि हमारा नाम गरीबी रेखा में होना चहिये, चावल तेल मुफ्त का चहिये, बाकी प्रदेश कितना पीछे जा रहा शायद समाज के एक विशेष तबके को इस से तनिक फ़र्क नहीँ पड़ता ।
दूसरा तबका है मुख्यमंत्री के चमचों का ये तबका बहुत ही प्रभावशाली और सक्रिय है, जिनमे जादातर रेत माफिया हैं ।
बहुत कुछ लिखने का मन है, अगला अगली कड़ी में !
🙏🙏🙏🙏
जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल

Monday 7 August 2017

॥ समय सब दिखाता है ॥

समय सब दिखाता है, किसी को पहले तो किसी को बाद में सिखाता है ।
जीवन और मरण की रगड़ में, मनुष्य घिसता चला जाता है ॥
कौन खुश होगा कौन नाराज़, इस कश्मकश में पिसता चला जाता है ।
समय सब दिखाता है, किसी को पहले तो किसी को बाद में सिखाता है ॥
कोई ख़ास से बकवास हो जाता है, कोई बकवास से ख़ास हो जाता है । 
सच का साथ दो तो, अपना भी पराया हो जाता है ॥
समय सब दिखाता है, किसी को पहले तो किसी को बाद में सिखाता है ।

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
   7th अगस्त 2017

Friday 14 April 2017

14th अप्रैल 2017

औकात गिरा ली अपनी ज़माने ने, वरना एक दौर था जब लफ्ज महँगे हुआ करते थे !
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
14th अप्रैल 2017

Thursday 23 March 2017

!! छूट रहा पल, छूट रहा कल !!

छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
हम परवाह यूँ ही करते हैं, जाने क्या हो जायेगा !
कर्म हमारा, धर्म हमारा, साथ मात्र, जो जायेगा !!
कर्म भूल के, धर्म भूल के, लगे हुए हैं खाने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
देश बिसारे, ईष्ट बिसारे, और बिसारे वेद पुराण !
फ़िर भी खुद को श्रेष्ट बताकर, खुदका करते हैं गुणगान !!
नहीँ बचेगा लेस मात्र भी, ईष्ट - देश बिसराने में !
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !!
राम श्रेष्ट है, राम राष्ट्र है, राम नाम ही भारत है !
राम कर्म है, राम धर्म है, राम नाम ही सारथ है !!
राम की निंदा सुनके चुप हैं, राम हुआ बेगानों में !
रक्त जमा है, स्वर भी मरा है, नहीँ रहे मर्दानों में !!
छूट रहा पल, छूट रहा कल, इसकी उसकी बातों में !
ना जाने कब बीतेगा पल, अपने दिल की बाहों में !!
      ॥ जय श्री राम ॥
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
     23th मार्च 2017
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु
        शहीद दिवस

Tuesday 21 March 2017

॥ कटु सत्य ॥

धर्म और संन्यास का अद्भुत मिलन है हो गया !
अब अगर कुछ हो न पाया, तो मैं समझूं सब गया !!
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आज़ माननीय न्यायलय ने टिप्पणी की राममंदिर के संदर्भ में न्यायलय के बाहर दोनो पक्ष मिलकर रास्ता निकालें !
कितनी शर्म की बात है हम अपने ही देश में अपने भगवान की मंदिर नहीँ बना सकते, धिक्कार है सभी राज़ नेताओं को, सभी हिंदू धर्म के ठेकेदारों को सारा हिंदू समाज कितना बेबस है !
जहाँ बाबर पैदा हुआ वहाँ जाओ सालो वहीँ बनाओ उसकी मस्जिद, मगर जहाँ मेरे प्रभु का जन्म हुआ, वहाँ हम खुद नहीँ बना सकते ? धिक्कार है !
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कैसे कहूँ मैं रक्त, जिसमें देस भक्ति न घुले !
नर हो नही सकता कभी वो, जानवर जिनसे भले !!
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हम जनेऊ भूल गये, शिखा भूल गये, गोत्र भूल गये, अपने धर्म, शास्त्र, पुराण, वेद सब भूल गये, कारण यही है की हम अपने मर्यादा पुरुषोत्तम का घर नहीँ बना सकते ! जो अपने धर्म के प्रतीक की रक्षा नहीँ कर सकता वो धर्म को क्या खाक मानेगा ?
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Narendra Modi
Rajnath Singh
Uma Bharti

जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
    21 मार्च 2017

Friday 10 March 2017

!! कुछ भी !!

महफूज़ रखता हूँ खुद से बेहतर तुझको, न जाने फ़िर  क्या ख़ता हो जाती है !
हूँ सलामत तो फक्र है मुझको, वरना किस्मत भी बदकिस्मत हो जाती है !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल

Thursday 2 March 2017

॥ मुलाकातें ॥


कुछ मुलाकातें दिल साफ़ करती हैं !
कुछ तो आदत बन जातीं हैं !!
फ़र्क होता है मुलाकातें दौर का ,
वरना हर मुलाकातें कुछ न कुछ करतीं हैं !!

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
    2nd मार्च 2017

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...