Sunday 24 November 2019

॥ हे प्रभू मेरे ॥

हे प्रभू मेरे, हर जाओ दुःख..
अब जीवन को स्थिर करदो। 
कर्मों की गहन परीक्षा कर..
परिणाम में भी, परिणिति करदो॥ 1
दे जाऊं मैं, इतना जग को..
जग याद करे और हर्षित हो। 
कर जाऊं इतना बेहतर मैं..
परिवार मेरा ना पीड़ित हो॥ 2
हे प्रभू मेरे....................
हूँ किंचित मात्र, तुच्छ अतिशय..
मुझ पर अपनी अब कृपा करो। 
सब जीवों पे हो दया मूझे..
ऐसा मुझमें सद्गुण भर दो॥ 3
हे प्रभू मेरे....................
न द्वेष रहे न, न ईर्ष्या हो..
लालच और कपट हटा भी दो। 
करुणा ही करुणा हो मन में..
अपमान का भान हटा भी दो॥ 4
हे प्रभू मेरे....................
जाऊं जब अंतिम पथ को मैं..
तो साथ मेरे जड़ चेतन हों। 
थोड़ा भी कष्ट न दे जाऊं..
हे प्रभु मेरी ये विनय सुनो॥5
हे प्रभू मेरे, हर जाओ दुःख..
अब जीवन को स्थिर करदो। 
कर्मों की गहन परीक्षा कर..
परिणाम में भी, परिणिति करदो॥6


      ॥ राधे राधे॥ 

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
   25 नवंबर 2019

Saturday 2 November 2019

दिवालिया

हो सकूँ दिवालिया तो निकाल दूँ दीवाला तन्हाइयों का..
कमबख्त ये कुर्क नहीं, सुर्ख हुई जा रहीं हैं। 
हर रोज़, हर पल एक बखेड़ा खड़ा रहता है इनका..
पल पल जिन्दगानियाँ अब इनके नाम हुई जा रहीं हैं॥
काश! हो जाऊं बेख़बर और कुछ करूं इनका...
मगर एक पल में ही, धड़कनें रुकी जा रहीं हैं।
हो सकूँ दिवालिया तो निकाल दूँ दीवाला तन्हाइयों का....
कमबख्त ये कुर्क नहीं, सुर्ख हुई जा रहीं हैं॥ 

जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल
   3rd  नवंबर 2019

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...