हे प्रभू मेरे, हर जाओ दुःख..
अब जीवन को स्थिर करदो।
कर्मों की गहन परीक्षा कर..
परिणाम में भी, परिणिति करदो॥ 1
दे जाऊं मैं, इतना जग को..
जग याद करे और हर्षित हो।
कर जाऊं इतना बेहतर मैं..
परिवार मेरा ना पीड़ित हो॥ 2
हे प्रभू मेरे....................
हूँ किंचित मात्र, तुच्छ अतिशय..
मुझ पर अपनी अब कृपा करो।
सब जीवों पे हो दया मूझे..
ऐसा मुझमें सद्गुण भर दो॥ 3
हे प्रभू मेरे....................
न द्वेष रहे न, न ईर्ष्या हो..
लालच और कपट हटा भी दो।
करुणा ही करुणा हो मन में..
अपमान का भान हटा भी दो॥ 4
हे प्रभू मेरे....................
जाऊं जब अंतिम पथ को मैं..
तो साथ मेरे जड़ चेतन हों।
थोड़ा भी कष्ट न दे जाऊं..
हे प्रभु मेरी ये विनय सुनो॥5
हे प्रभू मेरे, हर जाओ दुःख..
अब जीवन को स्थिर करदो।
कर्मों की गहन परीक्षा कर..
परिणाम में भी, परिणिति करदो॥6
॥ राधे राधे॥
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
25 नवंबर 2019