Monday 29 April 2013

ज़िन्दगी के मायने !!!!!

ज़िन्दगी के मायने समझ न सका, लोग मुझको बुरा ही समझने लगे !
हैं मोहब्बत मेरी, जो लगे अब दुआ, लोग उसमे भी ऊँगली उठाने लगे !!

मेरी हिम्मत का लोहा न लेना कभी, मेरे अरमाँ न जाने बहकने लगे !
बस लगी टीस मुझको कसम से सनम, मेरे अपने पराये से लगने लगे !!
काश लब्जों का लहजा समझ पाते वो, जो धड़कन से पहले धड़कने लगे !
ज़िन्दगी के मायने समझ न सका, लोग मुझको बुरा ही समझने लगे !
जितेन्द्र सिंह बघेल
 29th अप्रैल 2013

Friday 19 April 2013

उल्फत !!

तुझे खोने के डर से मैं, न जाने क्यों डरा सा हूँ !
किसी को खो दिया मैंने, किसी को पा लिया सा हूँ !!

मेरे किस्से मोहब्बत के, मुझे जीने नहीं देंगे !
खुदी की ही निगाहों में, खुदी से गिर गया हूँ मैं !!

ये उल्फत है या जिल्लत है, उसे बतला नहीं सकता !
मगर अपनी वफाओं का, सिला भी पा चूका हूँ मैं !!

 
19 अप्रैल  2013
जितेन्द्र सिंह बघेल

Friday 12 April 2013

बस माँ का आँचल !!

हैं मौत से पहले मुझे, कुछ ख्वाहिशों की रहमतें !

मरके मिले बस माँ का आँचल, और न हों उल्फतें !!



जितेन्द्र सिंह बघेल
12 अप्रैल 2013

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...