इस जीवन को जीना कैसे , मुझको है जिसने सिखलाया !
जिसने अपने बाकी सपने, सच करके मुझमें दिखलाया !!
हर बार मरूं हर बार जिउँ, पर मिलो मुझे तुम हर एक जनम !
मेरे मन के मेरे तन के, हर घाव का के थे तुम ही मरहम !!
बचपन से आज जवानी तक, इस उमर को मैं लो जी आया !
हर एक सफ़र को लांघ गया, हर राह में ही तुमको पाया !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
Jitendra Shivraj Singh Baghel
पितृ दिवस की मंगल कामनाये