Saturday 15 August 2015

15 अगस्त 2015 !!!!

कर बात आज एक तू, जिए - मरे, डरे नहीं  !
भले कटे अनेक सर, मगर कभी झुके नहीं !!
हो आन बान शान ही, वतन की जो, वही तेरी !
पुकार दे, दहाड़ दे, यही स्वतंत्रता तेरी !!
लिया जनम यहीं तो है, मरेगा भी यहीं पे तू !
ना देख धुप छाँव अब, बढ़ा कदम, चलेगा तू !!
है देश आज जल रहा, बुझा नहीं सके कोई !
सब सेंकते हैं रोटियां, उन्हें नहीं हया कोई !!
तू चीर दे दीवार को, तू फाड़ दे पहाड़ को !
तू मोड़ दे तूफान को , तू सह सभी प्रहार को !!
है मात्र एक जीव तू, यही समझ के कर्म कर !
वतन की आबरू तेरी, यही समझ के जश्न कर !!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ 
    !! जय हिन्द - जय भारत !!

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 

   15 अगस्त 2015 

Monday 10 August 2015

मुझे पता नहीं !!

कभी जागते हुए सोता हूँ, कभी सोते हुए जगता हूँ....... 
इस हुनर को क्या नाम दूँ , मुझे पता नहीं !!
कभी सब होके, कुछ नहीं होता,
कभी कुछ नही होके सब होता है ..... 
इस एहसास को क्या नाम दूँ , मुझे पता नहीं !!
कभी आँखे खुली होते, कुछ देख नहीं पाता,
कभी शांत बैठे , कुछ सुन नहीं पाता …… 
इस मनःस्तिथी को क्या नाम दूँ , मुझे पता नहीं !!
कभी बहुत छोटी ख़ुशी , खुश कर जाती है,
कभी बहुत बड़ी भी , कम पड़ जाती है …
इस अंतरव्यथा को क्या नाम दूँ , मुझे पता नहीं !!
मैं जो कर रहा वो सही है , 
या जो सही है वो कर रहा .... 
क्या इसे ज़िन्दगी नाम दूँ , पता नहीं !!
♥♥♥♥
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
  10th अगस्त 2015 

Sunday 2 August 2015

मन से अपराध ना हो जाए !!!!

मन से अपराध ना हो जाए ,
बस यही सोंच के बैठे थे  !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे  !!
.
है व्याकुल और विक्षिप्त सा मन,
बस हाथ हाथ से मलते थे !
हर बार वही हो जाता है, 
जो कभी न हो ये कहते थे !!
.
आदत बेचारी बेबस थी,
फितरत न बने हम डरते थे !
एक बात अचानक हो ही गयी,
जिस बात को लेके डरते थे  !!
.
     मन से अपराध ना हो जाए.……… 

जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 

   3rd अगस्त 2015 

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...