है सबक एक दुनिया, तू समझा नहीँ !
बातों बातों में खुदको, गँवाता गया !!
इतना उठ के भी हाँसिल, किया कुछ नहीँ !
चंद मतलब में, खुदको गीराता गया !!
सोंच अपनी अकेले कि, देखा नहीँ !
सारी दुनिया से नाता, निभाता गया !!
एक दिन कुछ हुआ, कोई जाना नहीँ !
चार कंधो में चढ़कर, विदा हो गया !!
प्रेम से बढ़के कुछ भी, हुआ ही नही !
सारी मेहनत तू यूँ ही, कमाता गया !!
आज़ जाने से तेरे, फरक भी नहीँ !
बेवजह यूँ ही, पशुओं सा जीता गया !!
🙏🙏🙏🙏🙏
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
30th नवम्बर 2015
Monday 30 November 2015
सबक !!!!!
Friday 20 November 2015
कोई शिकवा ही कर जाते, वतन के वास्ते अपने !!
मुझे क्यों गर्व हो की मैं भारतीय हूँ...
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मेरे देश में रोज़ सीमा में जवान और फ़ौज के अधिकारी मारे जाते हैं, आतंकवादियों के हाथों, और मेरा देश चूं तक नहीँ करता, जिनके कारण हम सूकून से सोते और जागते हैं उनकी मौत पे हमें दुःख नहीँ होता, हम ख़ुदगर्जी की जिंदगी जीने के आदी हो चुके, हमारी सरकारें हमें केवल वोट के लिये याद करतीं हैं, हमारा सुख दुख उनको अपनी वोट की राजनीति के हिसाब से समझ आता है, यहाँ का नेता सिर्फ़ वोट की राजनीति करता है, उसे देश या देशवासीओं की अस्मिता से फ़र्क नही पड़ता...क्यों ????
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मेरे देश की हर महिला जुल्म सहती है, कोई घर में, कोई ऑफिस में, कोई रास्ते में, कोई बस/ट्रेन/टैक्सी या ऑटो में...क्यों ????
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मेरे देश का हर मर्द क्या केवल अपनी पत्नी के लिये मर्द बनके रहने का आदी हो चुका है, उसका पुरुषार्थ कब जगेगा, जब उसका या उसके किसी अपने की बारी आयेगी...क्यों ????
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क्या केवल जन्म लेना, बड़े होना, फ़िर शादी करना, बच्चे पैदा करना, फ़िर ब्लड प्रेशर या डायबिटीस की बीमारी से ग्रसित होना, फ़िर इलाज करवाना और अंत में मर जाना, दूसरों के लिये, देश के लिये बिना कुछ किये मर जाना कितना सही है, खुद से ये सवाल किसी ने अब तक क्यों नहीँ किया, यही सब कुछ तो जानवर भी करते हैं और बहुत हद तक इन्सान से बेहतर, फ़िर हमने फ़र्क नहीँ जाना अबतक....क्यों ????
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बिना शिकवे गिलों के ही, मिटा दी हस्तियां सबने !
कोई शिकवा ही कर जाते, वतन के वास्ते अपने !!
👍👍👍👍
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
20th नवम्बर 2015
Friday 13 November 2015
ख्वाइशों कोशिशों का समां !!
ख्वाइशों कोशिशों का समां यूँ चला !
एक बढ़ती गयी, एक होती गयी !!
कब तलक कोशिशें, ख्वाइशों से लड़े !
एक लड़ती रही, एक बढ़ती गयी !!
फलसफे लेते लेते, मैं हूँ थक चला !
अब तो सीकवों गिलों की भी हद हो गयी !!
ख्वाइशों कोशिशों का समां यूँ चला !
एक बढ़ती गयी, एक होती गयी !!
✌✌✌
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
13th November 2015
Sunday 8 November 2015
मेहरबानीयाँ नहीँ चाहिये उनकी !!
मेहरबानीयाँ नहीँ चाहिये उनकी, बद हवासी जिनका पेशा है !
उनकी तर्ज़ पर क्यों चलू , जिन्हें उठने के लिये गिरते देखा है !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
8th नवम्बर 2015
Wednesday 4 November 2015
इंसान !!
कभी इंसान को इंसान बनाने की जुर्रत तो कर काफ़िर, बड़ा फकर होता है इस कोशिश के बाद !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
4th नवम्बर 2015
Friday 30 October 2015
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 30th October 2015 करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाए
चलो पीलो पानी अब !
काश पति समझ पाते तुम्हारी प्रेम की पराकाष्ठा अब !!
कोई व्रत शायद करें पति भी अब !
जिनकी निशानी भी नहीँ की विवाह हुआ कब !!
पत्नी को सिर से पैर तक निशानी दिये सब !
पतियों की तो कोई जात ही नहीँ अब !!
समाज नारी को महान मानेगा कब !
नारी महान बस है, जाहिल कहते है सब !!
चलो पीलो पानी अब !
काश पति समझ पाते तुम्हारी प्रेम की पराकाष्ठा अब !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
30th October 2015
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ
Tuesday 27 October 2015
फुरसत के पल !!
फुरसत के पल, दिये क्यों चल !
उन पलों को बनाने में सज़दा किया !!
फ़िर से आयें वो पल, जो जिये हमने कल !
उन पलों ने हमें फिरसे, रुखसत किया !!
🌹🌹🌹
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
27 October 2015
Friday 16 October 2015
16 October 2015
यूँ तो वाजिब हैं हर सितम तेरे !
पर कुछ सितम बड़े बेरहम हैं तेरे !!
कभी लगता है ख़तम हुई मोहलत उनकी !
कभी लगे जैसे हमसफ़र हैं मेरे !!
🌹🌹🌹
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
16 October 2015
Wednesday 14 October 2015
जय माता की
नव रोज़ बड़े ही पावन हैं, नवनीत बना दे मन मेरा !
कोइ पाप न हो मेरे कर से, बस एक यही वरदान मेरा !!
तेरी भक्ती कर पाऊँ नित, रज धूल तेरी चंदन मेरा !
सारी चिंता से रहूँ परे, बस चरन तेरे हों घर मेरा !!
हे माँ मेरी मुझे मुक्त तू कर, जीवन उद्धार तू कर मेरा !
इस मोह जाल से विघटित कर , यहाँ न मैं कुछ न कोई मेरा !!
नव रोज़ बड़े ही पावन हैं, नवनीत बना दे मन मेरा !
कोइ पाप न हो मेरे कर से, बस एक यही वरदान मेरा !!
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जितेंद्र शिवराजसिंह बघेल
15 October 2015
जय माता की
Sunday 11 October 2015
Monday 28 September 2015
बेसब्री का आलम !!!!
बेसब्री का आलम कुछ यूँ था यारो, जिन रास्तों पे चले थे कभी, आज उनमें ही भटकने लगे !!!
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जितेंद्र शिवराजसिंह बघेल
29 सितम्बर 2015
Sunday 13 September 2015
सुकूँ सारा गवाँ बैठा !!
14th सितम्बर 2015
Thursday 10 September 2015
अदब से आदाब तक !!
Tuesday 8 September 2015
खून का रंग लेके, क्यों रोये तु आँख !!
Friday 4 September 2015
अनुरोध विनोद न मानो प्रभु !!
Thursday 3 September 2015
खुदा खुदगर्ज लगता है !!
Saturday 15 August 2015
15 अगस्त 2015 !!!!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
Monday 10 August 2015
मुझे पता नहीं !!
Sunday 2 August 2015
मन से अपराध ना हो जाए !!!!
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3rd अगस्त 2015
Sunday 21 June 2015
पितृ दिवस की सुभकामनाएँ !!
हर आशय को स्पष्ट करे, हर घूढ़ विषय का सार है जो !
माँ की ममता के परे भले, एक ढाल बना सा खड़ा है जो !!
है नमन दंडवत जग सारा, ऐसी प्रतिभा का धनी है जो !
हर जनम रहो मेरे बनके , तुमसे बेहतर कोई और न हो
हमने तो जी लिया !!!
Tuesday 7 April 2015
7th अप्रैल 2015 !!
Sunday 5 April 2015
5th अप्रैल 2015
Monday 30 March 2015
तुम्हे जाना है जबसे दिल !!
।। मेरे शहर में सब है ।।
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
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कभी कोख में तो, कभी चौक में मैं। क्यों मारी क्यों नोची, जली जा रही हूँ।। किसी रोज़ हो जाऊं, गी जग से ओझल। तो रहना अकेले, कहे जा रही हूँ।। ...
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कभी - कभी कुछ मजबूरियाँ आदत बन जाती हैं ! हम समझ ही नहीं पाते, कब वो इबादत बन जाती हैं !! दर्द तब होता है यारो, जब दुआ भी बददुआ बन जाती हैं...