Saturday 18 January 2014

न जाने मुस्किले क्यों आज , मुझको बेवफा कर दीं ! 
उन्हें रुसवा करूं भी तो , मेरा मंजर बयां कर दीं !!

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...