तुम्हे जाना है जबसे दिल, धड़कता जोर से क्यों है !
जरा समझा करो इसको, सम्भलता देर से क्यों है !!
तुम्हे समझा नहीं पाता, कभी बतला नहीं पाता !
मगर हर राज को कहके, सुकूं सा दिल में क्यों है !!
मेरे ताजे हालातों का, नहीं मुझपे असर होगा !
बिगड़ते को बनाने का, हुनर आता भी मुझको है !!
सबर रखना सबर करना, भरोसा है अगर मुझ पे !
ये दुनिया भी हसीं है अब, मिले हो तुम मुझे जबसे !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
30th मार्च 2015