Friday 27 July 2012

महबूब की कसमें !!!!

मेरी किस्मत में कुछ और वक़्त लिख दे मौला !
आज मैंने महबूब की कसमें खाई हैं !!
नहीं उसे शक होगा मेरी मोहब्बत पे !
जिसे अब तक मैंने बड़ी सिद्धत से निभायी है !!
                                   जितेन्द्र सिंह बघेल 
                                      27 जुलाई 2012


Thursday 26 July 2012

वतन की आबरू !!!!

वो दिया क्यों बुझ गया, जो जल रहा था शान से,
आज क्यों है रो रहा, वतन मेरा ईमान से !!
क्यों बदल गया कोई, आईने घरों के सब,
क्या कोई बचा नहीं जो कह सके ईमान से !!
क्यों आबरू है लुट रही, लबों पे शब्द न रहे,
दिलों की  बात क्या करें, जो लुट गया है जान से !!
वो वक़्त एक था कोई, जहाँ थी हस्तियाँ कोई,
तो आज फिर क्यों डर रहा तू , अपनी ही जान से !!
क्यों हो गया गुलाम तू ,  आज एक बार फिर ,
तू आदमी नहीं रहा, बदल गया ईमान से !!
                                         जय हिंद - जय भारत 
                                           जितेन्द्र सिंह बघेल 
                                            26 जुलाई 2012

कुछ गुनाह !!!!

कुछ गुनाह करके भी पछताया नहीं जाता,
उनकी मजबूरी तो देखो, चाह कर भी कुछ कहा नहीं जाता !!
वो बेबस हैं, या हैं कातिल, खुदी में उलझे हुए हैं,
हम भी कितने बेबस हैं, ये दर्द अब सहा नहीं जाता !!
उनका मिलना भी एक, खुद किस्मती थी हमारी,
हजारों दर्द हैं, किसी एक को बताया नहीं जाता !!
उनके चेहरे में कुछ बात तो जरूर थी यारो,
तभी तो,  इन आँखों से कोई और चाहा नहीं जाता !!
                                                                   जितेन्द्र सिंह बघेल 
                                                                     26 जुलाई 2012

Tuesday 24 July 2012

मुकद्दर और गम !!!!

मेरे मुकद्दर में कुछ गम और लिख दे मौला,
क्या पता, फिर ज़िन्दगी में उसका दीदार न हो !
ये उलफत में जीना बहुत हो गया,
कुछ ऐसा कर की, खुद पे ऐतबार न हो !!
 है खुशबु आज भी उसकी, धडकती आज भी वो है,
फरक इतना है यारो अब,  किसी की याद में  है वो !!
                     जितेन्द्र  सिंह बघेल                     
                       24 जुलाई 2012


Sunday 22 July 2012

मेरी जाना !!!!

मुझे लगा नहीं कभी की, तू इस कदर लौटेगा !
मेरे वजूद में शामिल, तेरी हर सांस थी जाना !!
तेरे हर अश्क की कीमत, मैं  लौटा नहीं सकता !
मेरे हर वक़्त में शामिल, तेरे अरमान थे जाना !!
तेरा आना भी क्या आना, तुझे अपना नहीं सकता !
मेरे अपनों ही ने तो, मुझे मारा मेरी जाना !!
                          जितेन्द्र सिंह बघेल 
                            23 जुलाई 2012

Monday 2 July 2012

तरक्कियों का दौर !!!!

तरक्कियों के दौर में, उसी का दौर चल गया !
बना के अपना रास्ता जो भीड़ से निकल गया !!
कहा तो बात कर रहा था, खेलने को आग से !
ज़रा सी आंच क्या लगी, की मोम सा पिघल गया !!
रख हौसला खुदी में तू, न सोँच जो बिगड़ गया !
तुझे भी क्या बतायेगा, जो पल अभी गुजर गया !!
है नियत भी गुलाम अब, करम तेरा प्रधान है !
बना दे ऐसा रास्ता, जहाँ  से तू गुजर गया !!
चले जहाँ, जहाँ सकल, बना दे ऐसा रास्ता !
डरे बिडम्बना भी अब, जिसे तुने कुचल दिया !!
तरक्कियों के दौर में, उसी का दौर चल गया !
बना के अपना रास्ता जो भीड़ से निकल गया !

      " जय हिंद "
  जितेन्द्र सिंह बघेल 
    02 जुलाई 2012

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...