Saturday 19 October 2013

जब साथ मेरे तू होती है !!

तू साथ मेरे जब होती है, हर राह क्यों मुमकिन लगती है !
ये बात बड़ी ही गहरी है, हर बात पे आहें भरती है !!
हर बात मुसाफिर लगती है, जब राह मेरी तू होती है !
किस बात का मुझको डर यारो, जब साथ मेरे तू होती है !!
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जितेन्द्र सिंह बघेल
                             19th Oct 2013

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...