1
जब भी मिलोगी किसी मोड़ पे, हर मोड़ जिंदगी का नज़र आएगा !
तेरे साथ चलना मुनासिब न था, मगर प्यार मेरा जता जायेगा !!
2
फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके !
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे !!
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...