कभी दिल से पुछा ही नहीं मैंने, की तू इतना पत्थर दिल क्यों है !
जिसे मैं नाजुक समझता था, वो इतना जाहिल क्यों है !!
मत कर ऐसा, गुनाह हो जाएगा,
मुझे समझाने वाला आज, गुमसुम सा क्यों है !!
आज भी काँप जाता है जिस्म सारा,
उसके लबों पे मेरे लिए दर्द क्यों है !!
कभी डरता था दुनिया से,
की वो इतनी पागल क्यों है !!
अभी लड़ता हूँ मैं खुद से,
वो मुझसे दूर अब क्यों है !!
कभी चर्चे मोहब्बत के, मेरे यूँ आम होते थे,
अभी दुनिया मोहब्बत की, मेरी बदनाम सी क्यों है !!
उसी के जिक्र में जिन्दा है, मेरी मोहब्बत अब,
वो आएगा मेरे घर में, अजब ये आस सी क्यों है !!
बचा कुछ भी नहीं है अब, तेरे - मेरे फ़साने में,
ना जाने दिल मेरा तुझको, करता याद अब क्यों है !!
कभी दिल से पुछा ही नहीं मैंने, की तू इतना पत्थर दिल क्यों है !
जिसे मैं नाजुक समझता था, वो इतना जाहिल क्यों है !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
22 मई 2012