तुम श्रेष्ठ मेरे, तुम देव मेरे, तुम सारे पद से ऊपर हो।
हम किंचित हैं, हम कुंठित हैं, तुम इन सबके उपचारक हो॥
हर व्यर्थ कर्म के रोधक थे, हर सत्य कर्म के साधक थे।
हूँ आज़ अगर मैं जैसा भी, गुरुदेव तुम्ही ही तारक थे॥
सारी जड़ता का अंत किया, तुमही मेरे संचालक हो।
हम किंचित हैं, हम कुंठित हैं, तुम इन सबके उपचारक हो॥
था शून्य और संकुचित बहुत, तुमने मेरी परिभाषा दी।
परिभाषित कर, प्रस्फ़ुटित किया, तुमने ही मेरी व्याख्या की॥
तुम राम मेरे, तुम श्याम मेरे, तुम ही कण कण मे व्यापक हो।
हम किंचित हैं, हम कुंठित हैं, तुम इन सबके उपचारक हो॥
॥ शिक्षक दिवस की सबको मंगल कामनाएँ ॥
🙏इस ब्रह्मांड के समस्त शिक्षक जनों को मेरा दंडवत🙏