तू जैसी थी वैसी आज भी है,
मेरा हर रोम तेरा मोहताज़ आज भी है !!
कभी भटका जो राहों में, तो रुखसत होती है यूँ,
पलट के कहती है मुझसे , तू बच्चा आज भी क्यों है !!
मेरी हर सांस कहती है, माँ तू जाना ना दूर,
करूँ कैसे मैं शिकवा, मेरा अरमान तू ही है !!
तेरे आँचल की छाया में, मैं सोना चाहता हूँ अब,
तुझे समझाऊं कैसे मैं, मेरा जहां तू ही है !!
जिया हर पल को मैंने यूँ ,
लगा तेरा हाथ सर पे है ,
तुझे बतलाऊं कैसे मैं , तू जैसी थी वैसी है !!
-जितेंद्र सिंह बघेल
"12 मई 2012"
इस ब्रहमांड की सभी पूजनीय माताओं को मेरा चरण स्पर्श प्रणाम...
kya baat hai dada... aur mera pranaam aapko ...!
ReplyDeletehappy mother's day....dude
DeleteAnkur Katiyar Nice dear ........
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