Monday, 30 March 2015

तुम्हे जाना है जबसे दिल !!

तुम्हे जाना है जबसे दिल, धड़कता जोर से क्यों है !
जरा समझा करो इसको, सम्भलता देर से क्यों है !!
तुम्हे समझा नहीं पाता, कभी बतला  नहीं पाता !
मगर हर राज को कहके, सुकूं सा दिल में क्यों है !!
मेरे ताजे हालातों का, नहीं मुझपे असर होगा !
बिगड़ते को बनाने का, हुनर आता भी मुझको है !!
सबर रखना सबर करना, भरोसा है अगर मुझ पे !
ये दुनिया भी हसीं है अब, मिले हो तुम मुझे जबसे !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
30th मार्च 2015 

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...