मैं जो कुछ भी हूँ आज, उन्ही के क़र्ज़ के कारण !
नहीं मैं कर रहा होता, यहाँ कुछ और भी धारण !!
मेरा हर जन्म भी कम है, जिसे चुकता नहीं सकता !
नया जीवन दिया उसने, जिसे मैं कर रहा धारण !!
मेरी हर राह में था वो, नहीं छोड़ा अकेला भी !
यहाँ तक आ गया हूँ मैं, उसी एक सख्स के कारण !!
कभी मन जब हुआ व्याकुल, उसे बस याद हूँ करता !
मिटा देता है सब उलझन, मेरे अरमान के कारण !!
कभी भटका जो राहों में, पकड़ के हाथ कहता है !
तू चलता जा मेरे बच्चे, मैं ही तो हूँ तेरा तारण !!
"शिक्षक दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ "
जितेन्द्र सिंह बघेल
5 सितम्बर 2012
नहीं मैं कर रहा होता, यहाँ कुछ और भी धारण !!
मेरा हर जन्म भी कम है, जिसे चुकता नहीं सकता !
नया जीवन दिया उसने, जिसे मैं कर रहा धारण !!
मेरी हर राह में था वो, नहीं छोड़ा अकेला भी !
यहाँ तक आ गया हूँ मैं, उसी एक सख्स के कारण !!
कभी मन जब हुआ व्याकुल, उसे बस याद हूँ करता !
मिटा देता है सब उलझन, मेरे अरमान के कारण !!
कभी भटका जो राहों में, पकड़ के हाथ कहता है !
तू चलता जा मेरे बच्चे, मैं ही तो हूँ तेरा तारण !!
"शिक्षक दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ "
जितेन्द्र सिंह बघेल
5 सितम्बर 2012
No comments:
Post a Comment