Saturday 2 February 2013

मेरा खालीपन !!!!!!!!!!!!

यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !
हर बूँदें हैं बस स्याह रात, खाली खाली  अब जीवन है !!

गरमी की गरमाहट भी अब, है कष्ट नहीं दे पाती है !
ठंडी की सिकुड़न में भी वो, मुझ में उबाल सा लाती है !!

जन्नत की शोहरत फीकी है, बिन उसके ऐसा जीवन है !
यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !!

हर सावन मुझसे कहता है, हर पतझड़ मुझसे कहता है !
हर मौसम तेरे साथ थी वो, तू कहने से क्यों डरता है !!

बस बात यही हर मौसम की, भरती मेरा खालीपन है !
यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !! 

जितेन्द्र सिंह बघेल 
2nd फ़रवरी 2013
 

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