यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !
हर बूँदें हैं बस स्याह रात, खाली खाली अब जीवन है !!
गरमी की गरमाहट भी अब, है कष्ट नहीं दे पाती है !
ठंडी की सिकुड़न में भी वो, मुझ में उबाल सा लाती है !!
जन्नत की शोहरत फीकी है, बिन उसके ऐसा जीवन है !
यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !!
हर सावन मुझसे कहता है, हर पतझड़ मुझसे कहता है !
हर मौसम तेरे साथ थी वो, तू कहने से क्यों डरता है !!
बस बात यही हर मौसम की, भरती मेरा खालीपन है !
यादों के बादल बरस चुके, अब बंजरपन अपनापन है !!
जितेन्द्र सिंह बघेल
2nd फ़रवरी 2013
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