Saturday, 18 January 2014

न जाने मुस्किले क्यों आज , मुझको बेवफा कर दीं ! 
उन्हें रुसवा करूं भी तो , मेरा मंजर बयां कर दीं !!

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।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...