Saturday, 30 August 2014

बड़ी सर्द थी दीवानगी उनकी !!!

बड़ी सर्द थी  दीवानगी उनकी, मैं मग़रूर था समझा नहीं !
ज़िल्लतों के दौर में पड़ा रहा, खुद को संभाला नहीं !!
सन्नाटे मुझे कहते हैं मेरी सुन,
उनसे कौन कहे, हम दीवाने हैं समझते नहीं !
अब तो खुद की ख़ामोशी भी कर गयी मोहब्बत मुझसे,
बस गुम  हूँ उसकी यादों में, निकल पाना मुमकिन नहीं !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
30th अगस्त 2014

Thursday, 28 August 2014

कुछ पल की बात !!

कुछ पल की बात थी, लगा यूँ सदियाँ गुजर गयीं !
वो बेसबर थे इस कदर, लगा तन्हाईयाँ भी मर गयीं !!
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल 
28th अगस्त 2014

Wednesday, 6 August 2014

हर मुश्किल को आँसा कर दू, बस हाथ मेरा तू थामे रख !
ये दौर बड़ा ही नाजुक है, बस कुछ पल का एहसास तू रख !!
सब रिश्तों की है  कदर मुझे, हर रिश्ते को मैं जीता हूँ !
बस कभी अकेले में होके, खुद की उलझन में रोता हूँ !!
ये दुनिया बड़ी बेगानी है, मैं समझ - समझ के हार गया !
बस इसमें कैसे रहना है, शायद मैं अब ये समझ गया !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
  06 अगस्त 2014

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...