औकात गिरा ली अपनी ज़माने ने, वरना एक दौर था जब लफ्ज महँगे हुआ करते थे !
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
14th अप्रैल 2017
Friday, 14 April 2017
14th अप्रैल 2017
Subscribe to:
Comments (Atom)
।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
-
पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
-
तू जैसी थी वैसी आज भी है, मेरा हर रोम तेरा मोहताज़ आज भी है !! कभी भटका जो राहों में, तो रुखसत होती है यूँ, पलट के कहती है मुझसे , ...
-
एक लड़की एक बहन एक औरत एक पत्नी एक माँ और न जाने कितने अनगिनत रिश्तों को जीने वाली ये प्रजाति ब्रह्मांड की वो शक्ति है जिसे आप शब्दों में नही...