किसी के वाश्ते जीना, किसी के वाश्ते मरना !
नहीँ होता नसीबों मे, यूँ मर मर के यूँ जीना !!
दफ़न होने से पहले ही, कफ़न की आरज़ू क्योँ थी !
कशिश वैसी अभी भी है, कशिश पहले भी जैसी थी !!
फरक इतना है बस आया, की तुझको पास हूँ पाया !
वफ़ा का वास्ता देकर, वफ़ा के पार मैं आया !!
किसी के वाश्ते जीना, किसी के वाश्ते मरना !
नहीँ होता नसीबों मे, यूँ मर मर के यूँ जीना !!
॥ जितेन्द्र शिवराज सिंह बघेल ॥
25 th फ़रवरी 2018
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