अगनित द्वंदो को सहकर भी, अंतर्मन को जो शांत करें !
खुद धधक रही हो ज्वाला सी, फिर भी सबको शीतल करदे !!
हर दर्दों का लेखा जोखा, कैसे संचित कर रहती है !
कोई समझ भला कैसे सकता, अंदर वो क्या क्या रखती है !!
हर कर्म, धर्म का अवलोकन, मानो मेरा तू करती है !
हूँ कोषों तुझसे दूर मगर, हर पल तू मुझको दिखती है !!
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
॥ मात्र दिवस की मंगल शुभकामनाएं ॥
13th April 2018
Saturday, 12 May 2018
Happy Mother's Day -2018
Thursday, 10 May 2018
॥ ज़िंदगी ॥
ये जो ज़िंदगी है ना, आधी तो बंदगी में गुजार दी ।
कभी ऊपर वाले की, तो कभी नीचे वालों की ॥
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
11th मई 2018
जब नींद ना आये तो कुछ लिखना चाहिये.....
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।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
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क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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दोनो पक्षों में शामिल होकर, क्या हासिल कर पाओगे। एक दिन ऐसा आएगा, कहीं नही रह पाओगे।। होना चाहो रक्षित तुम तो, खुद का बेड़ा पार करो। खुद से ...