Thursday 10 May 2018

॥ ज़िंदगी ॥

ये जो ज़िंदगी है ना, आधी तो बंदगी में गुजार दी ।
कभी ऊपर वाले की, तो कभी नीचे वालों की ॥
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जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
    11th मई 2018

जब नींद ना आये तो कुछ लिखना चाहिये.....

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।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...