माँ होना ख़ुद में एक शक्ति है, नहीं समझता की माँ से जादा शक्तिशाली इस ब्रह्मांड में कोई हो सकता है।
उम्र जैसे जैसे बढ़ रही, माँ के प्रति स्नेह के मायने बढ़ रहे, लगता है क्या कर जाऊं, क्या दे दूँ....
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मैं बिंदु मात्र था किंचित सा, पर आज़ अडिग हूँ पर्वत सा।
तेरे रहमो और कर्मों का, हूँ आज़ असर मैं सागर सा॥
॥ इस जगत की समस्त माताओं को मेरा दंडवत चरण स्पर्श॥
🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
12 मई 2019
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