Thursday, 16 August 2012

मेरा एहसास !!!!

वो अपने थे कभी, अब तो ये एहसास ही काफी है !
फकत लम्हों में तो, सितारे भी गिर जाया करते हैं !!
हमारी ज़िन्दगी के पन्नो में, दीमक सी लगी है !
हम खामखाँ ही, परायों से डर जाया करते हैं !!
कुछ तनहाइयों ने हमे, अपना जो लिया है !
वरना हम तो खुद के साये से भी, डर जाया करते हैं !!
अभी तो साली ज़िन्दगी भी, पूरी जिंदा है !
हम तो हर रात खुद को यूँ ही मारा करते हैं !!
कभी फुरसत मिले तो आना यारो....
कुछ दर्द भी हैं, जिन्हें हम शौक से सहा करते हैं !!


                   " जितेंद्र सिंह बघेल "
                      १६ अगस्त २०१२

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