न जाने उलफतें भी अब, मुझे तड़पा नहीं पातीं !
उन्हें अफ़सोस होता है, मुझे समझा नहीं पाती !!
मैं बुजदिल भी नहीं हूँ ये, उन्हें समझा नहीं सकता !
उन्ही का हो चूका हूँ मैं, मुझे बतला नहीं पाती !!
कोई हमदर्द था मेरा, यही एहसान है उनका !
मेरी उलफत बेगानी हैं, मुझे अपना नहीं पातीं !!
!! जितेंद्र सिंह बघेल !!
5th सितम्बर
उन्हें अफ़सोस होता है, मुझे समझा नहीं पाती !!
मैं बुजदिल भी नहीं हूँ ये, उन्हें समझा नहीं सकता !
उन्ही का हो चूका हूँ मैं, मुझे बतला नहीं पाती !!
कोई हमदर्द था मेरा, यही एहसान है उनका !
मेरी उलफत बेगानी हैं, मुझे अपना नहीं पातीं !!
!! जितेंद्र सिंह बघेल !!
5th सितम्बर
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