Friday, 5 October 2012

मेरी उलफतें !!!!!

न जाने उलफतें भी अब, मुझे तड़पा नहीं पातीं !
उन्हें अफ़सोस होता है, मुझे समझा नहीं पाती !!
मैं बुजदिल भी नहीं हूँ ये, उन्हें समझा नहीं सकता !
उन्ही का हो चूका हूँ मैं, मुझे बतला नहीं पाती !!
कोई हमदर्द था मेरा, यही एहसान है उनका !
मेरी उलफत बेगानी हैं, मुझे अपना नहीं पातीं !!

                 !! जितेंद्र  सिंह बघेल !!
                        5th  सितम्बर 

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