Tuesday, 9 October 2012

तेरी चाहत !!!!

तेरी चाहत बनी राहत,  मेरे वीरान मंजर की !
तेरा आना मुकद्दर में,  यूँ ही किस्मत नहीं होती !!


 

अभी तक सोंचता हूँ मैं, सभी बातें मोहब्बत की !
तू मुझसे दूर है कहना, मेरी हिम्मत नहीं होती !!
खुदी से कहकहे कहना, मेरी आदत है रातों की !
मेरी साँसे भी अब जाना, मुसलसल भी नही होती !!

            
                  जितेन्द्र सिंह बघेल 
                   09 सितम्बर 2012

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