Friday, 19 April 2013

उल्फत !!

तुझे खोने के डर से मैं, न जाने क्यों डरा सा हूँ !
किसी को खो दिया मैंने, किसी को पा लिया सा हूँ !!

मेरे किस्से मोहब्बत के, मुझे जीने नहीं देंगे !
खुदी की ही निगाहों में, खुदी से गिर गया हूँ मैं !!

ये उल्फत है या जिल्लत है, उसे बतला नहीं सकता !
मगर अपनी वफाओं का, सिला भी पा चूका हूँ मैं !!

 
19 अप्रैल  2013
जितेन्द्र सिंह बघेल

No comments:

Post a Comment

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...