Wednesday, 1 May 2013

मन की बातें !!!!

वो मन की बातें जान सकें, कुछ ऐसी काश खुदाई हो !
हम हर मंजर सह जायेंगे, फिर चाहे बाद जुदाई हो !!
.
सारा जीवन ही झोंक दिया, हमने उनको अपनाने में !
फिर भी न जाने तनहा हैं, कुछ भूल हुई अनजाने में !!
.
कुछ बात लगी हैं शूल मुझे, शायद उनको एहसास न हो !
है बात मगर कुछ ऐसी ही, शायद उनको अफ़सोस न हो !!
.
वो मन की बातें जान सकें, कुछ ऐसी काश खुदाई हो !
हम हर मंजर सह जायेंगे, फिर चाहे बाद जुदाई हो !!
















जितेन्द्र सिंह बघेल 
2nd जून 2013

No comments:

Post a Comment

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...