Friday 16 August 2013

लम्हों की कसक !!

जाना चाहा था दूर बहुत, पर कदम मेरे अब टूट गये !
जिन रिश्तों का था नाज़ बड़ा, वो रिश्ते सारे टूट गये !!
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लम्हों की कसक बड़ी गहरी, मन को मानो झखझोर गयी !
हर दुआ में उसका नाम लिया, वो दुआ न जाने कहा गयी !!
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जिन हाथों में थे हाथ मेरे, वो हाथ अचानक छूट गये !
जिन रिश्तों का था नाज़ बड़ा, वो रिश्ते सारे टूट गये !!
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जितेन्द्र सिंह बघेल
17th अगस्त 2013

1 comment:

  1. very nice,kabhi kabhi tum itne badi baat kah dete ho ke mai senty ho jata hu ..........kaash risto ke ahmiyat sab samaj jate to shayad aaj koi dukhi na hota aur na he koi akala hoti .mis u baby.

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