Wednesday, 26 June 2013

तू याद कभी न फिर आये !!!!!!!!!

जब साथ नहीं चल सकते थे तो, राह में मेरे क्यों आये !
हर जख्म अकेले सहते थे, तुम मरहम बनकर क्यों आये !!

मेरे ज़ज्बात बेगाने हैं, जो शायद हद से पार गये !
हैं मगर आज सर्मिन्दा हम, जो शायद तुम से हार गये !!

तेरे दुःख की बख्शीशों में, हमने अपना सुख वार दिया !
ये बात गलत क्यों लगे मुझे, की मैंने तुझसे प्यार किया !!

हूँ आज अभी तक वैसा ही, जैसा मैं पहले होता था !
वो दौर आज फिर लौटा है , जैसे मैं पहले रोता था !!

हो गयी वफ़ा क्यों आज खफ़ा, शायद ये वक़्त कभी आये !
बस दुआ यही है यार मेरे, तू याद कभी न फिर आये !!

जब साथ नहीं चल सकते थे तो, राह में मेरे क्यों आये !
हर जख्म अकेले सहते थे, तुम मरहम बनकर क्यों आये !!
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जितेन्द्र सिंह बघेल
27th जून 2013

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