Wednesday 15 October 2014

ज़रा सा हँस के देंखे अब !!!!


बहुत रोये तो क्या पाये, ज़रा सा हँस के देंखे अब ! 
कहा लौंटें, कहाँ जाएँ, ठिकाने भर चुके हैं सब !! 
किसी को पाके खोने का, गिला शिकवा नहीं है अब ! 
ज़माने भर की खुशियाँ भी, हंसा सकती नहीं हैं अब !! 
मगर जीने की राहों को, नहीं छीना किसी ने भी ! 
मुझे लगता है डरता है, जमाना भी कसम से अब !! 
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 जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
 16th अगस्त 2014

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