Sunday 11 October 2015

संशय !!

कोहरा सा छाया रहता है, मन के कुंठित कोनो में !
हर सुबह उसे डर रहता है, खुदकी कुंठा को खोने में !!

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।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...