नव रोज़ बड़े ही पावन हैं, नवनीत बना दे मन मेरा !
कोइ पाप न हो मेरे कर से, बस एक यही वरदान मेरा !!
तेरी भक्ती कर पाऊँ नित, रज धूल तेरी चंदन मेरा !
सारी चिंता से रहूँ परे, बस चरन तेरे हों घर मेरा !!
हे माँ मेरी मुझे मुक्त तू कर, जीवन उद्धार तू कर मेरा !
इस मोह जाल से विघटित कर , यहाँ न मैं कुछ न कोई मेरा !!
नव रोज़ बड़े ही पावन हैं, नवनीत बना दे मन मेरा !
कोइ पाप न हो मेरे कर से, बस एक यही वरदान मेरा !!
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जितेंद्र शिवराजसिंह बघेल
15 October 2015
जय माता की
Wednesday, 14 October 2015
जय माता की
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।। जगत विधाता मोहन।।
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...
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