यूँ तो वाजिब हैं हर सितम तेरे !
पर कुछ सितम बड़े बेरहम हैं तेरे !!
कभी लगता है ख़तम हुई मोहलत उनकी !
कभी लगे जैसे हमसफ़र हैं मेरे !!
🌹🌹🌹
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
16 October 2015
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।। मेरे शहर में सब है ।।
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