मुझे क्यों गर्व हो की मैं भारतीय हूँ...
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मेरे देश में रोज़ सीमा में जवान और फ़ौज के अधिकारी मारे जाते हैं, आतंकवादियों के हाथों, और मेरा देश चूं तक नहीँ करता, जिनके कारण हम सूकून से सोते और जागते हैं उनकी मौत पे हमें दुःख नहीँ होता, हम ख़ुदगर्जी की जिंदगी जीने के आदी हो चुके, हमारी सरकारें हमें केवल वोट के लिये याद करतीं हैं, हमारा सुख दुख उनको अपनी वोट की राजनीति के हिसाब से समझ आता है, यहाँ का नेता सिर्फ़ वोट की राजनीति करता है, उसे देश या देशवासीओं की अस्मिता से फ़र्क नही पड़ता...क्यों ????
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मेरे देश की हर महिला जुल्म सहती है, कोई घर में, कोई ऑफिस में, कोई रास्ते में, कोई बस/ट्रेन/टैक्सी या ऑटो में...क्यों ????
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मेरे देश का हर मर्द क्या केवल अपनी पत्नी के लिये मर्द बनके रहने का आदी हो चुका है, उसका पुरुषार्थ कब जगेगा, जब उसका या उसके किसी अपने की बारी आयेगी...क्यों ????
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क्या केवल जन्म लेना, बड़े होना, फ़िर शादी करना, बच्चे पैदा करना, फ़िर ब्लड प्रेशर या डायबिटीस की बीमारी से ग्रसित होना, फ़िर इलाज करवाना और अंत में मर जाना, दूसरों के लिये, देश के लिये बिना कुछ किये मर जाना कितना सही है, खुद से ये सवाल किसी ने अब तक क्यों नहीँ किया, यही सब कुछ तो जानवर भी करते हैं और बहुत हद तक इन्सान से बेहतर, फ़िर हमने फ़र्क नहीँ जाना अबतक....क्यों ????
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बिना शिकवे गिलों के ही, मिटा दी हस्तियां सबने !
कोई शिकवा ही कर जाते, वतन के वास्ते अपने !!
👍👍👍👍
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
20th नवम्बर 2015
Friday 20 November 2015
कोई शिकवा ही कर जाते, वतन के वास्ते अपने !!
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।। मेरे शहर में सब है ।।
मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...
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पाठ - 14 " पाँच बातें " कक्षा - 4 1- हर एक काम इमानदारी से करो ! 2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो ! 3- अधिक...
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कभी कोख में तो, कभी चौक में मैं। क्यों मारी क्यों नोची, जली जा रही हूँ।। किसी रोज़ हो जाऊं, गी जग से ओझल। तो रहना अकेले, कहे जा रही हूँ।। ...
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कभी - कभी कुछ मजबूरियाँ आदत बन जाती हैं ! हम समझ ही नहीं पाते, कब वो इबादत बन जाती हैं !! दर्द तब होता है यारो, जब दुआ भी बददुआ बन जाती हैं...
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