Friday, 29 September 2017

॥ जय श्री राम ॥

मैं हर चौराहे पर छेड़ी जाती हूँ, जहाँ विरोध किया वहाँ हरण कर ली जाती हूँ !
हर कदम कदम में रावण हैं, मैं पल पल अपना शील बचाती हूँ !!
मैं पहले भी अग्नि परीक्षा दी हूँ, इस युग में तो बचपन से देती आयी हूँ !
कब राम, रावण बन जाता है, इस भय से अब खुद को बचाती हूँ !!
मैं पाँच महान पतियों के समक्ष भी, चीर हरित हुई हूँ !
मैं महाभारत की वो द्रौपदी भी हूँ !! 
कब कृष्ण कंस बन जायेगा, इस डर से अब डर जाती हूँ !!
मैं संशय थी तब भी, वही अब हूँ, मैं सीता हूँ, द्रौपदी हूँ, मैं नारी हूँ, फ़िर भी संशय हूँ !!

॥ विजय दशमी पर्व की मंगल शुभकामनाएँ ॥
जो रावण हैं वो अपना दहन कर लें, और जो राम हैं वो खुद का मीटर चेक कर लें !

जीतेंद्र शिवराज सिंह बघेल
30th सितम्बर 2017

No comments:

Post a Comment

।। जगत विधाता मोहन।।

क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...