Thursday 26 April 2018

॥ ऐ ज़िंदगी ॥

ये ज़िंदगी, तू इतने कह कहे क्यों लगा रखी है,
तुझे बर्दाश्त नहीं, तुझसे रोज लड़ना झगड़ना मेरा !

कभी तू भी, दे दिया कर तवज्जो किसी काम का,
हर वक्त, हर दम बस एक नया पंगा होता है तेरा !!

तुझसे मोहब्बत तो नहीं हो सकती ये यकीन है,
हाँ, नफ़रत के क़ाबिल भी तो नहीं मिज़ाज तेरा !!

          जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
               (वाराणसी यात्रा )
              26th अप्रैल 2018

No comments:

Post a Comment

।। मेरे शहर में सब है ।।

मेरे शहर में सब है, बस नही है तो, वो महक... जो सुबह होते ही, मेरे गांव के हर घर से आती थी। थोड़ी सोंधी, मटमैली, जो अंतर्मन में घुल जाती थी।।...