मैं हर ख़बर से बेख़बर सा हूँ..
कहीं मैं दर बदर तो नहीं।
बड़ी गुस्ताख हो रहीं यादें..
बेइंतहा तुम्हे भूलती ही नहीं॥
मैं मगरूर था अपनें कड़कपन पर..
दर्द को कभी समझा नहीं।
कुछ पल अकेला जो हुआ..
रो बैठा कुछ सूझा नहीं॥
हर एक एहसास को समझू..
जिन्हें पहले समझा ही नहीं।
हरेक आहट से आहत हूँ..
लगा कहीं तुम तो नहीं॥
(1)
जितेंद्र शिवराज सिंह बघेल
25 अक्टूबर 2019
जारी है....
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