क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !
चलने का नाम जवानी है, कर गुजर जो है तू करने को !!
जो आग भरी है अंतर में, वो आग नहीं है बुझने को !
क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !!
हैं अश्क भरे इन आँखों में, जो बने नहीं हैं गिरने को !
ये जीवन भी क्या जीवन है, जो बना ही है मिट जाने को !!
क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !
रब मिला नहीं तो क्या गम है, है मिला कोई झुक जाने को !!
दिल आज उसे ही चाहे है, जो बना ही है तडपाने को !
क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !!
है गम की परछाई सी क्यों, जब मिला नहीं कुछ खोने को !
दिल महक रहा फिर अब क्यों, जब रहा नहीं कुछ कहने को !!
क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !
क्यों आज मुझे तू कहती हैं, मत सोंच किसी अफ़साने को !
"21 जून 2012"
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