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जब भी मिलोगी किसी मोड़ पे, हर मोड़ जिंदगी का नज़र आएगा !
तेरे साथ चलना मुनासिब न था, मगर प्यार मेरा जता जायेगा !!
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फलक से दूर तक कुछ भी नहीं था एक सिवा उसके !
बिना समझे, समझ बैठा, यही अफ़सोस है तबसे !!
क्यों डरना जब हांक रहा रथ, मेरा जगत विधाता मोहन... सब कुछ लुट जाने पर भी, सब कुछ मिल जाया करता है। आश बनी रहने से ही, महाभारत जीता जाता है।।...